एक्टर बनना है?... ख़ुद से अलग होना सीखें!

एक्टिंग का मतलब सिर्फ़ बॉलीवुड या हॉलीवुड ही नहीं होता। इसके अंदर बहुत गहराई है जिसमें डूबने के बाद , ज़िंदगी जीने का आपका नज़रिया ही बदल जाएगा। जब आप एक्टिंग सीखने लगते हैं और एक्टिंग करने लगते हैं तब समझ में आने लगता है कि एक्टिंग सिर्फ़ ग्लैमर नहीं है , सिर्फ़ चकाचौंध नहीं है , बल्कि आत्मा को आत्मिक आनन्द देने वाली कला है | हालाँकि ये सच है कि ज़्यादातर लोग और युवा फ़िल्मों की चमक-दमक , नाम और पैसा देखकर ही एक्टिंग की ओर आकर्षित होते हैं लेकिन जो भी आप पर्दे पर देखते हैं , दरअसल वो तो एक बहुत बड़ी टीम का प्रयास है , एक प्रोडक्ट है। कहानी के संदेश को दर्शकों तक पहुँचाने वाला एक्टर भी इसी टीम का एक हिस्सा मात्र है l लेकिन चूँकि एक्टर का काम मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा होता है इसलिए ये अत्यन्त दुष्कर और जटिल काम होता है क्योंकि इसमें आप अपने आप को भूलकर कुछ और बन जाते हैं , कुछ और हो जाते हैं आप वो बन जाते हैं जो आप वास्तविक ज़िंदगी में नहीं हैं अगर आप ख़ुद से अलग होना नहीं सीखेंगे तो आप दूसरे पात्र में भी नहीं ढल सकते। ये ए...